24 Tirthankar Stavanavali

Shri Rushabhdev Stavan

ऋषभ जिणंद दयाल रे, मोहे लागी लगनवा...ऋषभ!
लागी लगनवा छोडी न छुटे, जब लग घट में हो प्राण रे।
विमलाचल मंडण दुःखखंडण, मंडण धर्म विशाल रे।
विषधर मोर चोर कामीजन, दर्शन कर निहाल रे।

Shri Ajitnath Ji Stavan

अजित जिणंदशुं प्रीतडी, मुज न गमे हो बीजानो संग के;
मालती फूले मोहियो, किम बेसे हो बावल तरु भृंग के।
गंगाजलमां जे रम्या, किम छिल्लर हो रति पामे मराल के;
सरोवर जलधर जल विना, नवि चाहे हो जग चातक बाल के।

Shri Sambhavnath Bhagwan Stavan

हां रे हुं तो मोह्यो रे लाल, जिन मुखडाने मटके;
जिन मुखडाने मटके वारी जाउं, प्रभु मुखडाने मटके... १
नयन रसीला वयण सुखाला, चित्तडुं लीधुं हरी चटके;
प्रभुजीनी साथे भक्ति करतां, कर्म तणी कस तटके... २

Shri Abhinandan Savami Stavan

अभिनंदन स्वामी हमारा, प्रभु भवदुःख भंजनहारा;
अभिनंदन स्वामी हमारे है जो भव रूपी दुःखो का....
ये दुनिया दुःख की धारा, प्रभु इनसे करो निस्तारा
इस दुनिया में दुःखो की चल रही धारा से...

Shri Sumatinath Swami Stavan

साहिबा सुमति जिणंदा, टालो भवभव मुज फंदा;
(हे सुमति जिनेश्वर साहिबा, मेरे भव के फेरो के बंधन को टाल दो)
फंदा- फ़साने वाला, बंधन
तुज दरिसण अति आणंदा, तुं समता रस मकरंदा

Shri Padmaprabha Swami Stavan

पद्मप्रभ प्राण से प्यारा, छुडावो कर्म की धारा;
(हे प्राण से प्यारे पद्मप्रभ मुझे इस कर्म के बंधन से मुक्त कराओ)
करम फंद तोडवा धोरी, प्रभुजी से अर्ज है मोरी
(हे रक्षणहार प्रभुजी,आपसे मेरी प्रार्थना है की मेरे कर्म के बंधन तुड़ाओ)

Shri Suparshvanatha Swamy Stavan

श्री सुपास जिनराज, तुं त्रिभुवन शिरताज;
(श्री सुपार्श्वनाथ जिनेश्वर आप तीन लोक के शिरताज हो)
शिरताज- मुकुट, सिर पर पहनने का ताज
आज हो छाजे रे ठकुराई, प्रभु तुज पद तणी जी

Shri Chandraprabha Swamy Stavan

चंद्रप्रभ चित्तमां वस्यां, जीवन प्राण आधार रे
(मेरे जीवन-प्राण के आधार ऐसे चंद्रप्रभ मेरे चित्त में बस गये है)
तुम विण को दीसे नहीं, भविजनने हितकार रे
मुझे आपके सिवाय भव्यजनो का हित करने...

Shri Suvidhinath Swami Stavan

चंद्रप्रभ चित्तमां वस्यां, जीवन प्राण आधार रे
(मेरे जीवन-प्राण के आधार ऐसे चंद्रप्रभ मेरे चित्त में बस गये है)
तुम विण को दीसे नहीं, भविजनने हितकार रे
मुझे आपके सिवाय भव्यजनो का. ..

Shri Shitalnath Swami Stavan

मुज मनडामां तुं वस्यो रे, ज्युं कुसुम में सुवास;
(हे प्रभु आप मेरे मन में ऐसे बस गए हो जैसे खुशबु पुष्प में बसी होती है)
अलगो न रहे एक घडी रे, सांभरे श्वासोश्वास..
आप एक घडी भी मेरे से जुदा नहीं रहते हो,

Shri Shreyansnath Swami Stavan

मेरो मन! कितही न लागे... श्रेयांस जिणंदा !
(हे श्रेयांस जिनेश्वर मेरा मन कही भी लग नहीं रहा है)
सुखकर श्री श्रेयांस जिणंद सो, प्रेम वध्यो गुणरागे.....१
सुख देंनेवाले श्री श्रेयांस जिनेश्वर के...

Shri Vasupujya Swami Stavan

मनमंदिर नाथ! वसो ओ रसिया... मनमंदिर नाथ..!
(हे प्रभु मेरे मनरूपी मंदिरमें आप बस जाईये)
तुंही ज जाणे लिखो करि चोखुं, दुरित दोहग रज जायें घसिया... १
मेरे भाग्य को आप ही उज्जवल करना जानते है,

Shri Vimalnath Swami Stavan

सुंदर गुणमंदिर छबी देखत, हरखित हुई मेरी छतिया
सुंदर गुणमंदिर छबी देखत, हरखित हुई मेरी छतिया
नयन-चकोर वदन-शशी सोहे, जात न जाणुं दिन रतिया
प्राण सनेही प्राणप्रिय को, लागत हे मोहे मीठी वतिया

Shri Arahanath Ji Stavan

मारा साहिब! श्री अरनाथ !, अरज सुणो एक मोरी रे;
मारा प्रभुजी परम कृपाल, चाकरी चाहुं तोरी रे,
चाकरी चाहुं प्रभु गुण गाउं, सुख अनंता पाउं रे...
जिन भगते जे होवे राता, पामे परभव ते सुखशाता रे;

Shri Mallinath Swami Stavan

Shri Munisuvrat Swami Stavan

Shri NamiNath Swami Stavan

Shri Neminath Swami Stavan

प्रणमो!...प्रेम धरीने पाय... पामो परमानंदा,
यदुकुल चंदा राय!... मात शिवादेवी नंदा... प्रणमो.!
राजीमतिशुं पूरवभवनी, प्रीत भली परे पाली;
पाणिग्रहण संकेते आवी, तोरणथी रथडो वाली...।।2।।